जानते हैं कि क्या क्या हो सकता है 100 मिलियन शेयर्स की डील के बाद।

 

1 मिलियन होते हैं 10 लाख तो 100 मिलियन होंगे 10 करोड़।

अब यह 10 करोड़ शेयर्स कैसे खरीदे जाते हैं,

  1. एक विदेशी निवेशक दूसरे विदेशी निवेशक को बेचता है, अगर ऐसा होता है तो बाजार में केवल एक खबर आयेगी लेकिन रोज की ट्रेड पर कोई विशेष फर्क नही पड़ेगा।
  2. एक विदेशी निवेशक शेयर बेचता है और एक भारतीय संस्थागत निवेशक खरीदता है तब संभव है शेयर के मूल्य पर निगेटिव प्रभाव पड़े कि FII माल बेचकर निकल रहे हैं शायद कुछ बुरा होने वाला है।
  3. एक विदेशी या भारतीय संस्थागत निवेशक खुले बाजार में अपने शेयर्स बेचते हैं और रिटेलर्स इनको खरीदते हैं, भयानक रूप से कंपनी के शेयर्स गिरेंगे क्योंकि मजबूत हाथों से कमजोर हाथों में शेयर्स के जाने का मतलब है कि तगड़े निवेशक माल बेच कर भागे हैं।
  4. प्रमोटर ने माल बेचा और रिटेलर ने खरीदा, यह भी एक निगेटिव सिग्नल पैदा करता है, कि प्रमोटर्स को खुद अपनी कम्पनी पर भरोसा नहीं है, रिटेलर एक ऐसा निवेशक है जिसे कोई खास जानकारी नहीं होती है, शेयर गिर रहा होता है और यह एवरेज करता रहता है।
  5. रिटेलर्स के 10 करोड़ शेयर्स मजबूत संस्थागत निवेशकों ने उठाए या तो भारतीय या विदेशी, तब शेयर में एक बड़ी तेजी आती है क्योंकि बाजार से एक बड़ा वॉल्यूम कम हो गया है और अब शेयर का मुख्य तेजी से ऊपर जायेगा। जैसे पेटीएम।
  6. रिटेलर्स से प्रमोटर्स ने माल खरीदा, प्रमोटर कुछ बड़ा सोच रहे होते हैं और किसी कम्पनी के शेयर्स से उस कंपनी का कुल मूल्य भी निर्धारित होता है, तो प्रमोटर्स सस्ते में शेयर्स खरीदते हैं और इससे निवेशकों का कंपनी पर मजबूत भरोसा कायम होता है।

अब आप मुझे बताएं की आप में से कितने लोग रोज बाजार बंद होने के बाद बल्क डील्स देखते हैं.? क्योंकि एक छोटा निवेशक बहुत कम जानकारी के साथ तीर या तुक्का स्टाइल में काम करता है और यही वो वजहें हैं जिनसे छोटा निवेशक सबसे ज्यादा नुकसान सहता है।

जिस दिन पेटीएम लिस्ट हुआ उसी दिन उसमे लोअर सर्किट लग गया था (चूंकि पेटीएम की कहानी मैं जानती थी, इनके मालिक श्री विजय शेखर शर्मा जी से भी 2021 के समय में निवेश मंच पर कुछ बात हुई थी, काफी व्यस्त थे) तब मैंने लोअर सर्किट में भी केवल 1 शेयर खरीद लिया था कि देखते हैं इनका क्या होगा,वह शेयर गिरते फिरते 432 तक आया, और FII ( विदेशी संस्थागत निवेशक) ने इसमें माल भरना शुरू किया लेकिन कमाल देखिए कि कभी भी अपर सर्किट नही लगने दिया गया, मैने भी 450 से 470 तक माल भरा, क्योंकि एक शेयर पोर्टफोलियो में चिढ़ाता था, विश्वास करिए मात्र 5 महीने में शेयर दो गुना हो गया। मैने कभी अपने पाठको को पेटीएम सजेस्ट नही किया। यही हाल पॉलिसी बाजार का भी है। तो शेयर बाजार में बाज़ की नजर रखनी पड़ती है, आप 5 मिनट को ब्रोकर ऐप पर आएंगे और करोड़पति बन जायेंगे ऐसा संभव है? और पैसे कमाने की जल्दबाजी में अपना मेहनत का पैसा लुटा जायेंगे।

आप में से कितने लोगो ने कभी इस शेयर ZEEL में ट्रेड किया है?

राकेश झुनझुनवाला को ज़ी मीडिया वालों ने अपने पाले में ले लिया और सबसे पहले इन्होंने ही बताया कि राकेश झुनझुनवाला ने ZEEL खरीदा, उसके बाद 190 से शेयर हवा हो गया। अब रीटेल निवेशक जिन्होंने बहुत ऊपर इसे लिया वो आज भी इंतजार में हैं, जबकि झुनझुनवाला तभी बेच के निकल गए थे

By bull/bear .com

टिप्पणियाँ