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द्रौपदी और पांडवों के विवाह के बारे में जानने के लिए हमें उनके पिछले जन्म के इतिहास के बारे में जानना होगा। मैं संक्षेप में समझाने की कोशिश करूंगा।
द्रौपदी अपने पिछले जन्म में इंद्रसेनानी नाम की एक राजकुमारी थी। वह इन 5 गुणों वाले पति की कामना करती थी ! वे 👇
1) धर्म ज्ञानी
2) शारीरिक शक्ति
3) शस्त्र चलाने में निपुणता
4) सौंदर्य या सुंदरता
5) बुध्दिमान
कुछ दिनो के बाद, उस राजकुमारी को अपना विवाह मौदगाल्या नामक एक ऋषि से करना पड़ा! विवाह के पश्चात उस राजकुमारी ने इस पांच गुणोंको अपनी पति मे देखने की इच्छा प्रकट किया! उस समय उनकि पति बोला था कि उन पांच गुणोंको ऐकी व्यक्ति में देखना संभव नहीं हो पाता, इसकी वजा से राजकुमारी की पति ने अपने आप को पांच अलग स्वरूप में दर्शन करव्या! हर एक रूप उस राजकुमारी की इच्छा पूरी करेगी! इस जन्म के पश्चात अगले जन्म मे ऋषि मौदगाल्या बना पांच अलग अलग इंद्र और राजकुमारी ने बने उन पांच इंद्र के पत्नी देवी सचि!
एक समय मे, भगवान शिव ने इस पांच अलग अलग इंद्र को अपने वश मे रखने के लिए यम, वायु, इंद्रा और अश्विनी देवताओं को आदेश दिया और देवी सचि ने शिव की आदेश से अग्नि देव की संरक्षण मैं थी! इन लोगोंको ठीक समय पे पृथ्वी पर भेजने केलिए इस देवताओं को भगवान शिव ने आदेश दिया!
इसी प्रकार यम, वायु, इंद्रा और अश्विनी देवताओं ने ऋषि दूर्वासा द्वारा दिए हुए मंत्र की प्रभाव से कुंती और मादरी को पांच पांडव का आशीर्वाद दिए! और अग्नि देव ने सचि देवी को द्रौपदी के रूप में दृपदा महाराज को एक पुत्री के रूप मे आशीर्वाद दिया!
पांच पांडव कोई और नहीं, पिछले जन्म मैं ऋषि मौदगाल्या का पांच अलग अलग स्वरुप थे और द्रौपदी कोई और नहीं मौदगाल्या के पत्नी राजकुमारी इंद्रासेनानी, पिछले जन्म मे अपनी पति से वियोग के कारण इंद्रसेनानी को अगले जन्म मे अपनी पति का पांच अलग अलग रूपों से विवाह करना पड़ा! इसकी वजा से द्रौपदी का विवाह पांच पांडव के साथ हुयी थी! कुंती देवी का दोष उस विवाह का सिर्फ एक निमित्त मात्र है!
ये कहानी आप केलिए बहुत सारे पुराणों मे मिल जाते है! मै आशा करता हूँ, मै आपकी संदेह का सही उत्तर दिया!
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