इलाहाबाद को भारत की राजधानी बनाने का फैसला ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था


उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर को 1858 में एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनाया गया था। उस दिन, 1 नवंबर 1858 को, ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत का प्रशासन ब्रिटिश राजशाही को सौंप दिया था। इस ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए, इलाहाबाद को एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनाया गया था।इस दिन को भारत में "कॉर्पोरेट राज का अंत" के रूप में चिह्नित किया गया था।


इलाहाबाद को पहले से ही उत्तर-पश्चिम प्रांत की राजधानी के रूप में जाना जाता था और यह अंग्रेजों की सेना का एक प्रमुख गढ़ था। यह शहर ब्रिटिश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक केंद्र था, और इसे भारत की राजधानी बनाने से ब्रिटिश शासन को मजबूत करने में मदद मिली।

1 नवंबर 1858 को, इलाहाबाद में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था। इस समारोह में ब्रिटिश राजशाही के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय राजाओं और महाराजाओं ने भाग लिया। समारोह में ब्रिटिश राजशाही को भारत का शासक घोषित किया गया।


इलाहाबाद को भारत की राजधानी बनाने का फैसला ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था। इस फैसले का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को भारत में मजबूत करने और भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन के अधीन लाने के लिए था। 

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